Hindi Lyrics

सारी उम्र गवा लई तून्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया लिरिक्स SAARI UMRA GAVA LAYI TU JINDARIY LYRICS

SAARI UMRA GAVA LAYI TU JINDARIY LYRICS

क्यों करे तू मियाँ मियाँ मियाँ है दो पल दी शियां
फस के इस दे मोह दे विच क्यों होस भुला लाई तू
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया

ना बचपन न रही जवानी, ना रही ओह अकाल शेतानी
आइयाँ भुदापा जो जांदा नही हर चाल चला ली तू,
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया

दुनिया तेनु प्यार वि करदी, प्यार है बेशुमार वि करदी
बोल बोल के कोड़े बोल दुश्मन बना ले तू
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिय

जिह्ना ली तू पाप कामिया, अंत वेले कोई कम नही आइयाँ
धन दे बदले एने पाप एहे की अकाल बना ली तू
जिन्दरिये कुझ न जहाँ विचो खटिया

बाणी ,शबद, कीर्तन का महत्त्व : शबद कीर्तन सुनने मात्र से ही हम उस परम सत्ता के नजदीक आ जाते हैं। शुरू में हो सकता है हमारा मन विचलित हो, इधर उधर भटकने लगे, लेकिन समय के साथ साथ हम विकारों से दूर होते चले जाते हैं और उस परम सत्ता के चरणों का सुख प्राप्त करने लगते हैं। ये एक अभ्यास है जिसके माध्यम से हम स्वंय को जान पाते हैं और सच मानिये अवगुण दूर होते चले जाते हैं और हमारा मन निर्मल होने लगता है। जब मन विषय, वासनाओं से ऊपर उठने लगता है तो हम स्वंय को ज्यादा जान पाते हैं और स्वंय अनुशाषित हो जाते हैं। इसे यूँ समझिये की ईश्वर के नजदीक पहुंच जाते हैं आप कीर्तन के माध्यम से। शबद और कीर्तन जीवन का आधार हैं जिनके महत्त्व को हमें समझना चाहिए। संगीत का हमारे पुरे अस्तित्व से आदि काल से घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। संगीत के साथ ईश्वर का सुमिरन अत्यंत ही सुखदायी अनुभव होता है। रागब रचनाएं हमारे लिए दिव्य हैं। गुरु का कहना रहा है की केवल निरंजन को ही सुने, स्पर्श करे, महसूस करें और आप पाएंगे की आप उस परम सत्ता के करीब पहुँच रहे हैं।

गुरु नानक देव जी ने जब संगीत के माध्यम से लोगों को जाग्रत करने का कार्य किया तो कुछ मुस्लिम धर्म के लोगों ने इसे गैर इस्लामी घोषित किया और गुरु नानक देव जी को तत्काल कीर्तन रोकने को कहा क्योंकि मुस्लिम धर्म में संगीत को उचित नहीं माना गया था। कुछ लोग जब पत्थर लेकर गुरु नानक देव जी के पास पहुंचे तो उन्होंने समझाया की किस प्रकार से अजान भी एक लय में है। गुरु नानक देव जी के इन कथनों का मुस्लिम लोगों पर ऐसा प्रभाव पड़ा की उन्होंने वहीँ पत्थर जमीन पर गिरा दिए। गुरु नानक देव जी ने स्वंय इस्लाम अनुयायियों को यह सिद्ध करके दिखाया की संगीत मन को विचलित और चंचल करने का साधन नहीं बल्कि मन अनुशाषित करने का माध्यम है। स्वंय गुरु नानक देव जी की राग संगीत में गहन पकड़ थी।
शबद कीर्तन का जो महत्त्व है उसे महसूस ही किया सकता है। ये एक अभ्यास है जो रोज करना चाहिए। शबद और वाणी आपके जीवन को बदल सकते हैं, आपको इनका ही अनुसरण करना चाहिए। वाणी गावो जो सत्य है। शब्द और वाणी उस परम सत्ता के फूलों के रस से भीगे हुए हैं

जिनका अनुसरण करके आप स्वंय सुगन्धित हो जायेगे। गुरु की वाणी को जो भी बोलेगा, सुनेगा, और विचार करेगा वही परम सत्ता को प्राप्त होता है। कीर्तन करने से ही उद्धार संभव है। अपने खेत में जो कुंआ है उससे ही खेत को सींचना स्वंय के उद्धार के कीर्तन के तुल्य है। कीर्तन इस तरह है जैसे घनघोर बरसात हो सभी पापों को अपने साथ ले जायेगी।

शबद और कीर्तन का लाभ करने वाले और सुनने वाले दोनों को ही होगी। कथा माँ है तो कीर्तन पुत्र है। ये महिमा है शब्द और कीर्तन की। शबद का मंथन भी आवश्यक है। जितना शबद और कीर्तन हम सुनते हैं उतना ही सुद्ध होते चले जाते हैं। शबद को सुनने के बाद ही मंथन शुरू होता है। वाणी को ध्यान से सुनिए। ये सतगुरु का आशीर्वाद है। शबद कीर्तन हमारे व्यक्तित्व से सभी दोष, अवगुण और पाप का अंत कर देती है। चित्त निर्मल होने लगता है। 

आप स्वंय कीर्तन कीजिये और अंतर को महसूस कीजिये। जब आप पूर्ण मनोयोग से शबद कीर्तन करते हैं तो स्वंय गुरु हमारे पास होते हैं। सत संग और कीर्तन का महत्त्व है की जाने कब परमसत्ता का आशीर्वाद प्राप्त हो जाए। सतगुरु समझाते हैं की कीर्तन से कभी ना कभी तो सोया मन जाग जाएगा और परमसत्ता के आशीर्वाद से हमे कोई नहीं रोक पायेगा।
सिमरण कैसे करें : सुमिरण मन से किया जाना चाहिए। जब तक मन नियंत्रित नहीं होता है, व्यक्ति इधर उधर भटकता रहता है और वाणी के महत्त्व को समझ कर अपने जीवन में उतार नहीं पाता है। प्रथम चरण तो वाणी को सुनना ही है। सुनने के बाद ही मनन होता है। धीरे धीरे व्यक्ति एकाग्र हो जाता है। भीतर के आँख और कान खोले। सोते हुए को जगाने का कार्य है शबद और कीर्तन का। आपको ध्यान लगाना है शबद और कीर्तन में क्या कहा जा रहा है। मन की क्रियाएं भी धीरे धीरे अनुशाषित हो जाएगा। शबद को स्वंय से जोड़ने के लिए ध्यान से सुनना बहुत जरुरी है। शबद के लिए किसी बड़े आयोजन की आवश्यकता नहीं होती है, आप जहाँ भी जाए श्रद्धा से जाए और सुने। ये जागने का प्रोसेस है, जगना तो आपको है, दूसरा बता सकता है, जागना आपको है। इसलिए शबद और कीर्तन का बहुत अधिक महत्त्व बताया गया है।

वाणी को अमल में कैसे लाये : वाणी को गौर से सुने और अपने मन को सुनाये। जब मन सुनने लग जाएगा तभी उस पर अमल शुरू होगा।

अमृत वेले का महत्त्व क्या है : अमृत वेले का गुरुबाणी का अत्यंत ही महत्त्व होता है। अमृत वेले में उठकर गुरु जी को याद करना अत्यंत ही लाभकारी होता है। अमृत वेले में उठकर सुमिरण करना बहुत ही आवश्यक बताया गया है। शरीर में जो परमसत्ता का अंश होता है वो अमृत वेले में जाग्रत हो जाता है। 

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संगत में क्या जरुरी है : संगत में प्रयत्न करें की आप पूर्णतया संगत में ही रहे। स्वंय को अनुशाषित करें। जो श्री गुरु नानक जी ने बताया है की इधर उधर मत भटको और पूरा ध्यान शबद में लगाना है।

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