जिस सिमरत सुख होये सगळे दुःख शबद हिंदी मीनिंग JIS SIMRAT SUKH HOYE SHABAD HINDI
जिस सिमरत सुख होये : जिसके नाम सुमिरन मात्र से ही परम सुख होता है। इश्वर का नाम सुमिरन ही इस भव सागर से पार होने का एकमात्र रस्ता है। लोग तीर्थ जाते हैं, धार्मिक अनुष्ठान करते हैं लेकिन साहेब की वाणी है की मुक्ति का मार्ग तो केवल सच्चे हृदय से उस पूर्ण का नाम जपने/सुमिरन करने में ही है। सत्य की राह पर चलते हुए मालिक का नाम सुमिरन ही मुक्ति का आधार है।
सिमरत : सुमिरन.
जिस : जिसको (इश्वर )
सुख : दैहिक, भौतिक और दैविक संताप से मुक्ति
होए : होगा.
सगळे दुःख जाए : इश्वर के नाम सुमिरन से समस्त दुख दूर चले जाते हैं, दूर हट जाते हैं। सगले-समस्त, जाए-दूर हट जाते हैं। वस्तुतः भौतिक जगत ही दुखों का घर है। स्वार्थ के ऊपर ही सारा संसार स्थापित है। अतः हृदय से इश्वर का नाम सुमिरन आवश्यक है।
सगळे : समस्त, सभी.
दुख : संताप.
होए : हो जाता है.
रखे रखणहार, आप उबारियन : इश्वर ही सभी की सहायता करने वाले हैं, वही राखन हार हैं, रखने वाले हैं। आप (इश्वर) ही हमें इस भव सागर से उबार सकते हैं, मुक्त कर सकते हैं।
रखे : रखने वाला, इश्वर .
आप : इश्वर, स्वंय इश्वर.
उबारियन : उबारना, मुक्त करना, उद्धार करना.
गुर की पैरी पाई, काज सवारियन : गुरु के पैरों में पड़ने, चरणों में गिरने से ही हमारे सभी कार्य सिद्ध होते हैं। गुरु ही हमें समस्त संकट से मुक्त करता है।
गुरु की : गुरु के.
पैरी : पैर, चरण.
पाई : पैर पाना, पाँव छूना.
काज : कार्य, काम.
सवारियन: संवारना, सुधारना, काम बनाना.
होआ आप दयाल, मनो ना विसारियन : हे इश्वर आप हम पर दयालु बनिए, कृपा करिए। हम आप को कभी भी अपने मन से भूल नहीं सकते हैं।
होआ : होओ, बनो, करो.
आप दयाल : आप हम पर दयालू बनों.
मनो : मन से.
ना : नहीं .
विसारियन : विसारना, भुला देना, भूज जाना.
साध जनां के संग, भव जल तारियन : हे नाथ साधू संतों के साथ रहकर, उनकी संगती करके हम इस भव सागर से पार होंगे।
साध जना : साधू संत, नेक व्यक्ति (इश्वर की बताई राह पर चलने वाला)
संग : संगती, सत्संगति,
भव : संसार
जल : सांसारिक सागर के जल से, भव सागर से.
तारियन : तारना, मुक्त करना, पार लगाना.
साकट निंदक दुष्ट खिन, माहि बिधारियन : दुष्ट, निंदक और हमारे शत्रुओं को आपने समाप्त कर दिया है। इसके मध्य में आपने नास्तिकों को समाप्त कर दिया है।
साकट : शक्ति.
निंदक : निंदा करने वाले,
दुष्ट : खल,
खिन : समाप्त करना.
माहि : के मध्य .
बिधारीयन : समाप्त करना.
तिस साहिब की टेक, नानक मनाई माहि : हे इश्वर हमें तो आपका ही सहारा है, नानक देव जी हमें अपने हृदय में स्थान दो।
तिस : उस.
साहिब : इश्वर.
की टेक : की शरण, आश्रय.
मनाई माहीं : स्थान दो.
Lyrics/लिरिक्स
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए,
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए।
सतनाम, श्री वाहे गुरु,
सतनाम, श्री वाहे गुरु।
रखे रखणहार,
आप उबारियन,
गुर की पैरी पाई,
काज सवारियन,
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए,
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए।
सतनाम, श्री वाहे गुरु,
सतनाम, श्री वाहे गुरु।
होआ आप दयाल,
मनो ना विसारियन,
साध जनां के संग,
भव जल तारियन,
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए,
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए।
सतनाम, श्री वाहे गुरु,
सतनाम, श्री वाहे गुरु।
साकट निंदक दुष्ट खिन,
माहि बिधारियन,
तिस साहिब की टेक,
नानक मनाई माहि।
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए,
जिस सिमरत सुख होये,
सगळे दुःख जाए।
सतनाम, श्री वाहे गुरु,
सतनाम, श्री वाहे गुरु।