Singer – Arvinder Singh Music – Arvinder Singh Recorded, Mixed & Mastered by Aasa Singh Song recorded at WIBE Studios (Andheri (W) Mumbai India) Edit & Gfx : Prem Graphics PG Music Label: Music Nova
CHAUPAI SAHIB LYRICS
ਹਮਰੀ ਕਰੋ ਹਾਥ ਦੈ ਰਛਾ,
हमरी करो हाथ दै रक्षा,
ਪੂਰਨ ਹੋਇ ਚਿਤ ਕੀ ਇਛਾ
पूरण होइ चित की इच्छा,
तव चरणन मन रहे हमारा,
अपना जान करो प्रतिपारा।
ਤਵ ਚਰਨਨ ਮਨ ਰਹੈ ਹਮਾਰਾ
ਅਪਨਾ ਜਾਨ ਕਰੋ ਪ੍ਰਤਿਪਾਰਾ
हमरे दुशट सभै तुम घावहु
आपु हाथ दै मोहि बचावहु ॥
सुखी बसै मोरो परिवारा ॥
सेवक सि्खय सभै करतारा ॥३७८॥
ਹਮਰੇ ਦੁਸਟ ਸਭੈ ਤੁਮ ਘਾਵਹੁ
ਆਪੁ ਹਾਥ ਦੈ ਮੋਹਿ ਬਚਾਵਹੁ
ਸੁਖੀ ਬਸੈ ਮੋਰੋ ਪਰਿਵਾਰਾ
ਸੇਵਕ ਸਿਖ੍ਯ ਸਭੈ ਕਰਤਾਰਾ
मोँ रक्षा निजु कर दै करियै,
सभ बैरिन कौ आज संघरियै,
पूरन होइ हमारी आसा,
तोरि भजन की रहै पियासा,
ਮੋ ਰਛਾ ਨਿਜੁ ਕਰ ਦੈ ਕਰਿਯੈ,
ਸਭ ਬੈਰਿਨ ਕੌ ਆਜ ਸੰਘਰਿਯੈ,
ਪੂਰਨ ਹੋਇ ਹਮਾਰੀ ਆਸਾ,
ਤੋਰਿ ਭਜਨ ਕੀ ਰਹੈ ਪਿਯਾਸਾ
तुमहि छाडि कोई अवर न धयाऊं,
जो बर चहों सु तुमते पाऊं,
सेवक सि्खय हमारे तारियहि,
चुन चुन शत्रु हमारे मारियहि
आपु हाथ दै मुझै उबरियै,
मरन काल त्रास निवरियै,
हूजो सदा हमारे पछा,
स्री असिधुज जू करियहु इच्छा,
राखि लेहु मुहि राखनहारे,
साहिब संत सहाइ पियारे,
दीनबंधु दुशटन के हंता,
तुमहो पुरी चतुरदस कंता,
काल पाइ ब्रहमा बपु धरा,
काल पाइ शिवजू अवतरा,
काल पाइ करि बिशन प्रकाशा,
सकल काल का कीया तमाशा,
जवन काल जोगी शिव कीयो ॥
बेद राज ब्रहमा जू थीयो ॥
जवन काल सभ लोक सवारा ॥
नमशकार है ताहि हमारा ॥३८४॥
जवन काल सभ जगत बनायो ॥
देव दैत ज्छन उपजायो ॥
आदि अंति एकै अवतारा ॥
सोई गुरू समझियहु हमारा ॥३८५॥
नमशकार तिस ही को हमारी ॥
सकल प्रजा जिन आप सवारी ॥
सिवकन को सवगुन सुख दीयो ॥
श्त्रुन को पल मो बध कीयो ॥३८६॥
घट घट के अंतर की जानत ॥
भले बुरे की पीर पछानत ॥
चीटी ते कुंचर असथूला ॥
सभ पर क्रिपा द्रिशटि करि फूला ॥३८७॥
संतन दुख पाए ते दुखी ॥
सुख पाए साधन के सुखी ॥
एक एक की पीर पछानै ॥
घट घट के पट पट की जानै ॥३८८॥
जब उदकरख करा करतारा ॥
प्रजा धरत तब देह अपारा ॥
जब आकरख करत हो कबहूं ॥
तुम मै मिलत देह धर सभहूं ॥३८९॥
जेते बदन स्रिशटि सभ धारै ॥
आपु आपुनी बूझि उचारै ॥
तुम सभ ही ते रहत निरालम ॥
जानत बेद भेद अरु आलम ॥३९०॥
निरंकार न्रिबिकार न्रिल्मभ ॥
आदि अनील अनादि अस्मभ ॥
ताका मूड़्ह उचारत भेदा ॥
जाको भेव न पावत बेदा ॥३९१॥
ताकौ करि पाहन अनुमानत ॥
महां मूड़्ह कछु भेद न जानत ॥
महांदेव कौ कहत सदा शिव ॥
निरंकार का चीनत नहि भिव ॥३९२॥
आपु आपुनी बुधि है जेती ॥
बरनत भिंन भिंन तुहि तेती ॥
तुमरा लखा न जाइ पसारा ॥
किह बिधि सजा प्रथम संसारा ॥३९३॥
एकै रूप अनूप सरूपा ॥
रंक भयो राव कहीं भूपा ॥
अंडज जेरज सेतज कीनी ॥
उतभुज खानि बहुरि रचि दीनी ॥३९४॥
कहूं फूलि राजा ह्वै बैठा ॥
कहूं सिमटि भयो शंकर इकैठा ॥
सगरी स्रिशटि दिखाइ अच्मभव ॥
आदि जुगादि सरूप सुय्मभव ॥३९५॥
अब ्रछा मेरी तुम करो ॥
सि्खय उबारि असि्खय स्घरो ॥
दुशट जिते उठवत उतपाता ॥
सकल मलेछ करो रण घाता ॥३९६॥
जे असिधुज तव शरनी परे ॥
तिन के दुशट दुखित ह्वै मरे ॥
पुरख जवन पगु परे तिहारे ॥
तिन के तुम संकट सभ टारे ॥३९७॥
जो कलि कौ इक बार धिऐहै ॥
ता के काल निकटि नहि ऐहै ॥
्रछा होइ ताहि सभ काला ॥
दुशट अरिशट टरे ततकाला ॥३९८॥
क्रिपा द्रिशाटि तन जाहि निहरिहो ॥
ताके ताप तनक महि हरिहो ॥
रि्धि सि्धि घर मों सभ होई ॥
दुशट छाह छ्वै सकै न कोई ॥३९९॥
एक बार जिन तुमैं स्मभारा ॥
काल फास ते ताहि उबारा ॥
जिन नर नाम तिहारो कहा ॥
दारिद दुशट दोख ते रहा ॥४००॥
खड़ग केत मैं शरनि तिहारी ॥
आप हाथ दै लेहु उबारी ॥
सरब ठौर मो होहु सहाई ॥
दुशट दोख ते लेहु बचाई ॥४०१॥
क्रिपा करी हम पर जगमाता ॥
ग्रंथ करा पूरन सुभ राता ॥
किलबिख सकल देह को हरता ॥
दुशट दोखियन को छै करता ॥४०२॥
स्री असिधुज जब भए दयाला ॥
पूरन करा ग्रंथ ततकाला ॥
मन बांछत फल पावै सोई ॥
दूख न तिसै बिआपत कोई ॥४०३॥
अड़ि्ल ॥
सुनै गुंग जो याहि सु रसना पावई ॥
सुनै मूड़्ह चित लाइ चतुरता आवई ॥
दूख दरद भौ निकट न तिन नर के रहै ॥
हो जो याकी एक बार चौपई को कहै ॥४०४॥
चौपई ॥
स्मबत स्त्रह सहस भणि्जै ॥
अरध सहस फुनि तीनि कहि्जै ॥
भाद्रव सुदी अशटमी रवि वारा ॥
तीर सतु्द्रव ग्रंथ सुधारा ॥४०५॥
Lyrics:
Hamree Karo Haath Dai Rachhaa
Pooran Hoé Chit Kee Ichhaa
Tav Charnan Mann Rehai Hamaaraa
Apnaa Jaan Karo Prat(i)paaraa
Hamré Dustt Sabhai Tum Ghaavho
Aap Haath Dai Mohé Bachaavho
Sukhee Basai Moro Parvaaraa
Sevak Sikh Sabhai Kartaaraa